रायगढ़ में किरोड़ीमल इंजीनियरिंग टेक्नोलाॅजी (KIT) काॅलेज में कार्यरत चपरासी ने राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु की मांग की है। उन्होंने आवेदन कलेक्ट्रेट में अपर कलेक्टर को सौंपा है। प्यून का कहना है कि 32 माह से उसे वेतन नहीं मिला है। घर के नाम पर लोन लिया है, उसकी भी किस्त पटाने में दिक्कत हो रही है। मधुबन पारा में रहने वाले अजीम बख्श ने बताया कि साल 2000 से वह KIT काॅलेज में चतुर्थ वर्ग कर्मचारी के पद पर पदस्थ है। यह राज्य शासन द्वारा प्रवर्तित इंजीनियरिंग कॉलेज है। उसका वेतन 17 हजार रुपए है, लेकिन 32 माह हो चुके, उसे कॉलेज से वेतन नहीं मिला। वेतन नहीं मिलने से उसके सामने आर्थिक संकट आ कर खड़ी हो गई है। उसने बताया कि कुछ माह पहले उसके पिताजी के गिरने के कारण सिर और कमर में गंभीर चोट आई थी। इलाज के लिए उसने अपने एक घर को परिचित व्यक्ति के पास 9 लाख रुपए में गिरवी रखा, लेकिन इसी दौरान अजीम के पिता की मृत्यु हो गई। जिसके बाद उसने बैंक से 9 लाख रुपए लोन लेकर घर को छुड़ा लिया, लेकिन पहले लिए गए घर बनाने के लिए होम लोन और बाइक के फाइनेंस की किस्त समेत वह 18 लाख रुपए का कर्जदार हो गया। ऐसे में बैंक से बार-बार नोटिस भी आने लगा है। परिचित से भी ले रखा है उधार यही नहीं अजीम ने बताया कि वह अपने बड़े बेटे को रायपुर में सीए की पढ़ाई करा रहा है, उसके पढ़ाई के लिए भी उसने अपने परिचित से 60-70 हजार रुपए ले रखा है। जिसे भी पटा पाने में अब वह सक्षम नहीं है। इन सभी परेशानियों के कारण अब उसने राष्ट्रपति से इच्छामृत्यु की मांग करते हुए आवेदन सौंपा है। थाने में भी कर चुका शिकायत वेतन नहीं मिलने से अजीम ने पूर्व में KIT के प्राचार्य गजेन्द्र कुमार अग्रवाल के अलावा सचिव किरोड़ीमल पॉलिटेक्निक सोसाइटी के खिलाफ जूटमिल थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। इसके बावजूद आज तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। कई बार लगा चुके हैं गुहार अजीम ने बताया कि कॉलेज के करीब 70 कर्मचारियों को वेतन नहीं मिलने से पूर्व में करीब ढाई माह तक आंदोलन किया गया था। पिछले कई महीनों से वेतन के लिए कई बार प्रशासन से लिखित और मौखिक रूप से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन इसके बाद भी आज तक वेतन नहीं मिल सका है। मजबूरी में लेना पड़ा फैसला पीड़ित अजीम बख्श का कहना है कि काॅलेज के द्वितीय और तृतीय वर्ग के कर्मचारियों को उतनी परेशानी नहीं होगी। इस कारण वे आगे नहीं आ रहे हैं, लेकिन उसे काफी समस्याएं हैं। उनकी पत्नी एक निजी स्कूल में पढ़ाने जाती है, उसी से घर का कुछ हद तक गुजारा हो पाता है। इस कारण अब मजबूरी में यह फैसला लेना पड़ा है। नहीं हो सका संपर्क इस संबंध में KIT काॅलेज के प्राचार्य से वेतन नहीं मिलने का कारण पूछने के लिए काॅल किया गया। लेकिन उन्होंने काॅल रिसीव नहीं किया।