छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के कुल 64 माओवादियों ने हिंसा का रास्ता छोड़ दिया और तेलंगाना पुलिस के सामने उन्होंने हथियार डाल दिए हैं। सरेंडर करने वालों में 16 महिला माओवादी भी हैं।

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छत्तीसगढ़-तेलंगाना बॉर्डर में नक्सलियों के खिलाफ लगातार ऑपरेशन चल रहा है। जिससे माओवाद संगठन में दबाव पड़ रहा है। छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के कुल 64 माओवादियों ने हिंसा का रास्ता छोड़ दिया और तेलंगाना पुलिस के सामने उन्होंने हथियार डाल दिए हैं। सरेंडर करने वालों में 16 महिला माओवादी भी हैं। इनमें DVCM, ACM, PPCM, DAKMS, KAMS कैडर के नक्सली शामिल हैं। छत्तीसगढ़ के सुकमा और बीजापुर जिले के नक्सली जो अलग-अलग बटालियन और एरिया में सक्रिय थे, वे भी तेलंगाना के भद्रादि कोत्तागुडेम में IG चंद्रशेखर रेड्डी समेत अन्य पुलिस अफसरों के सामने सरेंडर कर दिए हैं। ये दोनों राज्यों में नक्सल संगठन को गहरी चोट है। 15 महीने में 300 से ज्यादा ढेर छत्तीसगढ़ के बस्तर में नक्सलियों के खिलाफ लगातार ऑपरेशन चलाया जा रहा है। पिछले 15 महीनों में जवानों ने अलग-अलग मुठभेड़ में करीब 300 माओवादियों को मार गिराया है। वहीं 286 से ज्यादा हथियार बरामद किया गया है। नक्सल संगठन पर लगातार दबाव पड़ रहा है और एनकाउंटर के डर से नक्सली संगठन छोड़ रहे हैं। स्टेट समन्वय से हो रहा सफाया केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कह दिया है कि 31 मार्च 2026 तक देश से माओवादियों का खात्मा कर दिया जाएगा। वहीं छत्तीसगढ़ के पड़ोसी राज्य तेलंगाना, महाराष्ट्र, ओडिशा और आंध्र प्रदेश में नक्सलियों के खात्मे के लिए लगातार स्टेट्स एक दूसरे से समन्वय स्थापित कर रहे हैं। ऑपरेशन भी लॉन्च किया जा रहा है। कमजोर पड़ रहा नक्सल संगठन बॉर्डर इलाकों में ऑपरेशन होने से नक्सलियों को मूवमेंट करने की अब जगह नहीं मिल पा रही है। ऑपरेशन में आपसी समन्वय का ही परिणाम है कि नक्सल संगठन कमजोर हो रहा है।

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