गुडेली और टीमरलगा में खनिज माफिया के खिलाफ खनिज विभाग की निष्क्रियता गंभीर सवालों को जन्म दे रही
सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले के गुडेली और टीमरलगा में खनिज माफिया के खिलाफ खनिज विभाग की निष्क्रियता गंभीर सवालों को जन्म दे रही है। बिना किसी वैध अनुमति के अवैध खनन का खेल जारी है, और बिना रॉयल्टी के खनिजों का क्रशर उद्योगों में अवैध तरीके से परिवहन हो रहा है। यह माफिया की गतिविधियाँ प्रशासनिक उदासीनता और खनिज विभाग की लापरवाही का सीधा परिणाम हैं, और अब यह पूरे इलाके के लिए एक बड़ी समस्या बन चुकी है।
खनिज माफियाओं का बढ़ता प्रभाव:
गुडेली और टीमरलगा के अवैध खनन कारोबार ने स्थानीय प्रशासन की चुप्पी और विभागीय भ्रष्टाचार की परतें खोल दी हैं। यह माफिया खुलेआम सरकारी खनिजों का दोहन कर रहे हैं, और विभागीय अधिकारियों की नजर से यह सब बच रहा है। अवैध खनन और बिना रॉयल्टी के खनिज परिवहन से न सिर्फ सरकार को करोड़ों का नुकसान हो रहा है, बल्कि इसके पर्यावरणीय प्रभाव भी गंभीर हैं।
खनिज माफियाओं ने ऐसे नेटवर्क का निर्माण किया है, जिसमें बिना किसी कानूनी मंजूरी के पत्थरों का खनन किया जा रहा है। इन खनिजों को सीधे क्रशर उद्योगों में भेजा जाता है, जिससे न केवल सरकारी खजाने का नुकसान हो रहा है, बल्कि क्षेत्रीय पारिस्थितिकी भी खतरे में है। इन माफियाओं को खनिज विभाग के अधिकारियों से सांठगांठ का भी आरोप लगता है, जो इन अवैध गतिविधियों को रोकने में नाकामयाब हो रहे हैं।
खनिज विभाग की निष्क्रियता:
खनिज विभाग के अधिकारी, विशेष रूप से खनिज अधिकारी हीरादास भारद्वाज, लगातार इन अवैध गतिविधियों के खिलाफ कोई ठोस कदम उठाने में असफल साबित हुए हैं। विभागीय मूकदर्शक रवैया इस स्थिति को और गंभीर बना रहा है। सरकारी खजाने को होने वाले नुकसान के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही, और खनिज माफिया अपनी गतिविधियों में बेखौफ तरीके से लगे हुए हैं।
अनुराग नंद: एक तेज़तर्रार अधिकारी की खामोशी
एक समय था जब फील्ड सहायक अनुराग नंद की कार्यशैली ने खनिज माफिया के होश उड़ा दिए थे। वह न केवल अपनी त्वरित कार्रवाई के लिए प्रसिद्ध थे, बल्कि उन्होंने कई बार अवैध खनन पर कड़ा रुख अपनाया था। उनकी नेतृत्व में की गई कुछ प्रमुख कार्रवाइयों ने माफियाओं को झकझोर दिया था:
10 वाहनों पर की कार्रवाई: अनुराग नंद ने अवैध खनिज परिवहन के खिलाफ 10 वाहनों पर त्वरित कार्रवाई की थी।
सिंघनपुर खदान में पोकलेन मशीन की जब्ती: उन्होंने त्यौहारों के दौरान सिंघनपुर खदान से अवैध रूप से चल रही पोकलेन मशीन को जब्त किया।
लाखों का राजस्व वसूला: अनुराग नंद ने छपोरा, दुमुहानी, और बेलटिकरी में अवैध खनिज परिवहन पर कार्रवाई करते हुए लाखों का राजस्व सरकार को दिलवाया।
लेकिन अब यह सवाल उठता है, जो अधिकारी पहले माफियाओं के खिलाफ इतनी सख्त कार्रवाई करते थे, वो अब क्यों खामोश हो गए हैं? क्या दबाव, या विभागीय राजनीति ने उन्हें अपनी भूमिका से बाहर कर दिया है?
खनिज माफियाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जरूरत:
गुडेली और टीमरलगा में खनिज माफियाओं का काला कारोबार तब तक नहीं रुकेगा, जब तक खनिज विभाग और सरकार ठोस कदम नहीं उठाती।
सभी खदानों की गहन जांच: अवैध खनन को रोकने के लिए विभाग को तुरंत सभी संदिग्ध खदानों की जांच करनी चाहिए।
अवैध परिवहन पर सख्त रोक: बिना रॉयल्टी और कागजात के खनिज परिवहन पर सख्त कार्रवाई की जाए।
सांठगांठ करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई: जो अधिकारी माफिया के साथ मिलीभगत करते हैं, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
स्थानीय नागरिकों की भागीदारी: स्थानीय पंचायतों और नागरिकों को भी अवैध खनिज गतिविधियों की निगरानी में शामिल किया जाए, ताकि खनिज माफियाओं पर नजर रखी जा सके।
बहरहाल खनिज माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई में खनिज विभाग की निष्क्रियता एक गंभीर चिंता का विषय बन चुकी है। माफिया का बढ़ता प्रभाव, और खनिज विभाग की लापरवाही, राज्य के खनिज संसाधनों को खतरे में डाल रही है। अब समय आ गया है कि प्रशासन और खनिज विभाग गंभीरता से इस पर कदम उठाएं और अवैध खनन को पूरी तरह से रोकने के लिए कड़ी कार्रवाई करें। यदि जल्द ही इस मुद्दे पर ध्यान नहीं दिया गया, तो यह समस्या और बढ़ सकती है और इसका असर राज्य की अर्थव्यवस्था और पर्यावरण पर पड़ेगा।