अमित शाह की डेडलाइन के बाद फोर्स नक्सलियों को उनके गढ़ में ही घेरकर मार रही है। सालभर के अंदर आंध्र प्रदेश, ओडिशा, तेलंगाना और महाराष्ट्र के टॉप नक्सली लीडर्स बस्तर में फोर्स की गोलियों का शिकार हो चुके हैं। बस्तर समेत छत्तीसगढ़ में अब तक CCM, SCM, DKSZC कैडर के नक्सली मारे जा चुके हैं। इन पर 25 लाख से लेकर 1 करोड़ तक का इनाम घोषित था। जॉइंट ऑपरेशन के साथ घेरने की नई रणनीति जिलों के साथ ही अब 2 राज्यों के बॉर्डर पर भी अपनाई जा रही है। इसे 4 उदाहरण से समझिए संयुक्त ऑपरेशन से मिल रही बड़ी सफलता छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे ऑपरेशन में सफलता का सबसे बड़ा कारण संयुक्त ऑपरेशन है। यानी पुलिस को अगर सूचना मिलती है कि दंतेवाड़ा, बीजापुर और सुकमा बॉर्डर पर किसी ठिकाने में नक्सलियों का जमावड़ा है तो तीनों जिलों की फोर्स को ऑपरेशन पर निकाला जा रहा है। बीजापुर की टीम के साथ मुठभेड़ होती है और नक्सली दंतेवाड़ा की तरफ भागते हैं तो यहां दंतेवाड़ा की फोर्स घेरकर मार रही। ऐसे ही सुकमा की तरफ भागते हैं तो सुकमा में मोर्चा संभालकर बैठे जवान उनका एनकाउंटर कर रहे हैं। यह स्ट्रैटजी CG की सीमा से लगे आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र और ओडिशा की सीमा पर भी है। जॉइंट ऑपरेशन से नक्सलियों को बार-बार मूव करना पड़ रहा है। इससे फोर्स को उनके ठिकाने आसानी से मिल रहे हैं। बस्तर में 11 महीने में 13 करोड़ से ज्यादा के इनामी ढेर गरियाबंद में हुए एनकाउंटर में एक करोड़ रुपए का इनामी नक्सली जयराम उर्फ चलपति मारा गया। वहीं दक्षिण बस्तर में 50 लाख रुपए के इनामी नक्सली दामोदर का भी एनकाउंटर हुआ। इसी तरह, रणधीर, नीति उर्फ निर्मला, जोगन्ना, दसरू, रूपेश, शंकर राव जैसे DKSZC (दंडरारण्य स्पेशल जोनल कमेटी), TSC कैडर के माओवादी मारे गए हैं। ये सभी 25-25 लाख रुपए के इनामी थे। बस्तर में ही पिछले 11 महीनों में (1 जनवरी 2024 से जनवरी 2025) 13 करोड़ से ज्यादा के इनामी माओवादियों का एनकाउंटर कर दिया गया है। अमित शाह का दावा है कि 31 मार्च 2026 तक बस्तर से नक्सलवाद का खात्मा कर दिया जाएगा। दंतेवाड़ा से लगभग सफाया, बीजापुर, सुकमा, नारायणपुर चैलेंज दंतेवाड़ा जिले से नक्सलियों का लगभग सफाया हो गया है। यहां दरभा डिवीजन, कटेकल्याण एरिया कमेटी, मलांगेर और इंद्रावती एरिया कमेटी सक्रिय थी। DVCM (डिवीजनल कमेटी मेंबर ), ACM (एरिया कमेटी मेंबर) जैसे बड़े कैडर्स के कई नक्सली एनकाउंटर में मारे गए, तो कइयों ने सरेंडर कर दिया। यहां नक्सलियों की स्मॉल एक्शन टीम और मिलिशिया कैडर के नक्सलियों की सक्रियता थोड़ी बहुत दिखती रहती है। वहीं बीजापुर, सुकमा और नारायणपुर में जवानों के लिए थोड़ा चैलेंज है। इन इलाकों में नए कैंप भी स्थापित किए गए हैं। इन जिलों से ओडिशा, महाराष्ट्र, तेलंगाना की सीमा लगती है। अबूझमाड़ और पामेड़ का इलाका नक्सलियों के सबसे सुरक्षित पनाहगाह के रूप में जाना जाता था। लेकिन, साल 2024 में जवानों ने इन इलाकों में भी दस्तक दी और नक्सलियों को मार गिराया। अब भी पोलित ब्यूरो, सेंट्रल कमेटी के नक्सलियों की यहां मौजूदगी है। भौगोलिक स्थिति के अनुसार नक्सलियों का खात्मा करना थोड़ी चुनौती जरूर है। इधर, बस्तर और कोंडागांव जिले में नक्सली मूवमेंट समेत नक्सल घटनाएं न के बराबर हो गई है। जबकि, कांकेर में नक्सलियों का मूवमेंट है। कुछ महीने पहले कांकेर के छोटे बेठिया इलाके में नक्सलियों के गढ़ में घुसकर जवानों ने 29 माओवादियों को मार गिराया था। छिपने नया ठिकाना ढूंढ रहे नक्सली बस्तर में लगातार एनकाउंटर हो रहे हैं। ऐसे में बड़े नक्सली लीडर्स छिपने के लिए अपना नया ठिकाना ढूंढ रहे हैं। ऐसी जानकारी है कि, पामेड़ एरिया में एक्टिव माओवादी अबूझमाड़ में CG-महाराष्ट्र बॉर्डर पर चले गए हैं, जबकि अबूझमाड़ के कुछ बड़े नक्सली लीडर्स गरियाबंद और ओडिशा में अपना नया ठिकाना बना रहे हैं। IG बोले- बैकफुट पर नक्सली बस्तर IG सुंदरराज पी की मानें तो बस्तर से काफी हद तक नक्सली बैकफुट पर हैं। नक्सलियों के कोर इलाके तक पुलिस फोर्स पहुंच चुकी है। तेलंगाना, ओडिशा के बड़े कैडर्स भी मुठभेड़ में मारे गए हैं जो पुलिस के लिए बड़ी सफलता है। साथ ही अंदरूनी और नक्सलियों के आधार वाले इलाकों में सुरक्षाबलों के नए-नए कैंप भी स्थापित किए गए हैं, जिससे नक्सली बैकफुट पर हैं। अब तक 240 ढेर बस्तर में पिछले 13 महीनों में फोर्स ने करीब 240 से ज्यादा नक्सलियों का एनकाउंटर कर दिया है। इनमें बड़े कैडर्स के नक्सली हैं। नक्सलियों की कंपनी नंबर 6 का लगभग सफाया हो गया है। हिड़मा और देवा की टीम भी कमजोर हुई है।