रीएजेंट घोटाला:मोक्षित कार्पोरेशन का डायरेक्टर हिरासत में, फर्जी तरीके से टेंडर लेने का बनाया केस
स्वास्थ्य विभाग के रीएजेंट घोटाले में ईओडब्ल्यू-एसीबी ने मोक्षित कार्पोरेशन के डायरेक्टर को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। उसके खिलाफ स्वास्थ्य विभाग को गलत जानकारी देकर रीएजेंट सप्लाई का टेंडर लेने का केस बनाया गया है। आरोपी की फैक्ट्री नहीं थी, उसके बाद भी उसने करोड़ों के रीएजेंट सप्लाई का टेंडर लिया। रीएजेंट घोटाले में ईओडब्ल्यू की जांच स्वास्थ्य विभाग के तत्कालीन आला अफसरों तक पहुंचेगी। कुछ अफसरों को जल्द पूछताछ के
लिए तलब किया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदारों की भी गिरफ्तारी की जाएगी। ईओडब्ल्यू की टीम ने सोमवार को मोक्षित कार्पोरेशन के डायरेक्टर शशांक चोपड़ा के दुर्ग स्थित बंगले, फैक्ट्री और ऑफिस के अलावा उसके रिश्तेदारों, पार्टनर और डिपो सहित 17 जगहों पर छापेमारी की थी। सोमवार देर रात उसे पूछताछ के लिए रायपुर लाया गया। ईओडब्ल्यू के ऑफिस में मंगलवार को दिनभर डायरेक्टर से पूछताछ की जाती रही। उसके खिलाफ भ्रष्टाचार और कूट रचित दस्तावेजों व फर्जीवाड़े की साजिश का केस दर्ज किया गया है। आरोपी डायरेक्टर ने पूछताछ में स्वास्थ्य विभाग के कुछ आला अफसरों के नाम बताए हैं। ईओडब्ल्यू की जांच में भी कुछ अफसरों के नाम आए हैं। फिलहाल ईओडब्ल्यू की ओर से किसी अफसर का नाम घोषित नहीं किया गया है, लेकिन पूछताछ की तैयारी शुरू कर दी गई है। उनमें वे अफसर शामिल हैं जो 2023 में जब रीएजेंट सप्लाई किया गया तब वे अहम पदों पर पदस्थ थे। उनके निर्देश पर ही रीएजेंट सप्लाई का टेंडर निकालकर आर्डर जारी किया गया। टेंडर पाने 2 फर्जी कंपनी कागजों में खड़ी की
ईओडब्ल्यू की जांच में खुलासा हुआ है कि कंपनी के डायरेक्टर ने टेंडर पाने शारदा और रिकार्डस नाम से कागजों में दो कंपनी बनाई और उसके साथ मोक्षित कंपनी के नाम का टेंडर भरा। तीनों कंपनियों में हर उपकरण और रीएजेंट की कीमत लगभग एक जैसी रखी और तीनों में मोक्षित कंपनी का रेट सबसे कम रखा, जिससे कंपनी एल-1 हो गई और टेंडर मिल गया। जांच में पता चला है कि शारदा और रिकार्डस नाम की कोई कंपनी ही नहीं है।
ईओडब्ल्यू की जांच में खुलासा हुआ है कि कंपनी के डायरेक्टर ने टेंडर पाने शारदा और रिकार्डस नाम से कागजों में दो कंपनी बनाई और उसके साथ मोक्षित कंपनी के नाम का टेंडर भरा। तीनों कंपनियों में हर उपकरण और रीएजेंट की कीमत लगभग एक जैसी रखी और तीनों में मोक्षित कंपनी का रेट सबसे कम रखा, जिससे कंपनी एल-1 हो गई और टेंडर मिल गया। जांच में पता चला है कि शारदा और रिकार्डस नाम की कोई कंपनी ही नहीं है।