निकाय चुनाव का प्रचार थमने के साथ ही त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव की सरगर्मी तेज हो गई है।

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चुनाव चिन्ह का आबंटन प्रत्याशियों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जो उनके चुनावी अभियान को और भी स्पष्टता प्रदान करती है। प्रत्येक प्रत्याशी को उनके चुनावी चिन्ह के साथ चुनाव मैदान में उतरने की अनुमति मिल गई है। अब, प्रत्याशी अपनी-अपनी पार्टी या स्वतंत्र रूप से चुनाव प्रचार में जुटेंगे। इस तरह के चुनाव चिन्ह : दो पत्ती, पतंग, छाता, गाड़ी, खंभे पर ट्यूबलाइट, हल, गिलास, नारियल पेड़, टेबल लैंप, ब्लैक बोर्ड, बरगद का पेड़, झोपड़ी, ट्रैक्टर चलाता हुआ किसान, चश्मा, फलों सहित नारियल का पेड़, हस्तचलित पंप, अनाज बरसाता हुआ किसान, सब्जियों की टोकरी, ताला-चाबी, घंटी हार, किताब, स्टूल, गेहूं की बाली, जग जैसे चुनाव चिन्ह, बिजली का स्विच, कैची, केतली, बेलन, सीड़ी, फावड़ा, कुल्हाड़ी, बाल्टी अतिरिक्त चुनाव चिन्ह की जरूरत भी
दरअसल आवंटित किए जाने वाले अतिरिक्त प्रतीक चिन्ह उस समय की आवश्यकता के अनुसार होते हैं, जब एक ही चुनावी क्षेत्र में उम्मीदवारों की संख्या बहुत अधिक हो। ऐसे में आयोग द्वारा किसी विशेष प्रतीक चिन्ह के समाप्त हो जाने के बाद एक नया चिन्ह चुनाव आयोग द्वारा उम्मीदवारों को आवंटित किया जाता है। इस प्रक्रिया का उद्देश्य यह है कि चुनाव में कोई भी उम्मीदवार बिना चिन्ह के नहीं रह जाए और चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहे।

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