डोकरा आर्ट ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई

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 कोंडागांव से जन्मी डोकरा आर्ट ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को संगीतकारों की डोकरा कलाकृति भेंट की, जिससे स्थानीय शिल्पकारों में गर्व की भावना जागी है। डोकरा आर्ट की विशेषता है कि इसे पूरी तरह हस्तनिर्मित किया जाता है। यह कला मोहनजोदड़ो-हड़प्पा काल से चली आ रही है। इस कला को बनाने में 12 चरणों से गुजरना पड़ता है। आधुनिकीकरण के बावजूद भी इसे हाथों से ही तैयार किया जाता है। ‘डोकरा’ शब्द का अर्थ ‘बूढ़े-बुजुर्ग’ से है, और यह भारत की प्राचीनतम कलाओं में से एक है। कोंडागांव के प्रसिद्ध शिल्पकार राजेंद्र बघेल को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सम्मानित कर चुके हैं। वे छह से अधिक विदेशों में अपनी कला का प्रदर्शन कर चुके हैं और एक दर्जन से अधिक बार राज्य और राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं। विश्व स्तर पर डोकरा आर्ट की पहचान स्थानीय कलाकारों का कहना है कि डोकरा आर्ट की पहचान अब देश की सीमाओं को पार कर विश्व स्तर पर स्थापित हो चुकी है। पहले यह कला सोने-चांदी तक सीमित नहीं थी, बल्कि विभिन्न प्रकार की कलाकृतियां बनाई जाती थीं। आज यह कला भारत की सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुकी है।

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