मंदिर के सामने बैठे रहे पिता, पूरी रात बेटा-बेटा करते रोती रही मां, सुमित को ठीक से देख भी नहीं पाई बहनें
संदीप दीक्षित
गुना. मध्य प्रदेश के गुना जिले में खुले बोरवेल में 10 साल का मासूम बच्चा गिर गया. बच्चे को बचाने प्रशासन, पुलिस और एनडीआरएफ की टीम जुट गई. 16 घंटे तक रेस्क्यू ऑपरेशन चला. फिर भी मासूम सुमित मीणा की जान नहीं बच पाई. बेटे की मौत की खबर सुनते ही माता-पिता टूट गए. पिता बदहवास हो गए. रो-रोकर मां का बुरा हाल हो गया. वो तो सिर्फ यही कहती रही मेरा बेटा वापस ले आओ… मुझे मेरा सुमित चाहिए.. मुझे मेरा बेटा ला दो. सोचिए एक मां का कलेजा का टुकड़ा हमेशा हमेशा के लिए उससे दूर हो जाए, उसके ऊपर क्या बीतेगी.
पिता मंदिर की सीढ़ियों में हाथ जोड़कर बैठे रहे. अपने बेटे की सलामति की प्रार्थना करते रहे. वो चाह कर भी कुछ कर नहीं पा रहे थे, सिर्फ नम आंखों से हाथ जोड़कर भगवान से अपना बेटा मांग रहे थे. बताते हैं कि मां अपने मायके में भी. तब उसे खबर मिली की बेटा बोरवेल में गिर चुका है. मां भागी-भागी घर पहुंच गई और बेटे का इंतजार करती रही.
भावुक हो गया था पूरा परिवार
मध्य प्रदेश के गुना जिले के पीपल्या गांव के बोरवेल में 10 साल का बच्चा गिर गया था. बोरवेल में फंसे 10 साल के बच्चे सुमित मीणा को जिला प्रशासन और बचाव दलों की टीमों ने रविवार तड़के बाहर निकाल लिया था, लेकिन जिला अस्पताल में उपचार के दौरान बच्चे ने दम तोड़ दिया. इसके बाद अस्पताल में मौजूद जिला प्रशासन के अधिकारी और बच्चे का उपचार करने वाले चिकित्सक भी भावुक नजर आए. तीन बहनों का लाड़ला सबसे छोटा भाई सुमित मीणा जैसे ही बोरवेल के गड्ढे से बाहर आया, परिजनों ने उसे कलेजे से लगा लिया था. 15 घंटे से ज्यादा चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद भी मासूम की जान नहीं बच पाई.
गड्ढे में फंसे रहने के दौरान सुमित के हाथ-पैर रातभर पानी में डूबे रहे. उसकी गर्दन पानी से बाहर नजर आ रही थी, लेकिन मुंह में मिट्टी भर गई थी. बोरवेल से बाहर आते ही सुमित को गंभीर हालत में फौरन जिला अस्पताल लाया गया था. गुना सीएमएचओ डॉ. राजकुमार ऋषिश्वर की अगुवाई में आधा दर्जन डॉक्टरों ने सुमित का इलाज शुरू किया, लेकिन कुछ ही देर की निगरानी के बाद सुमित की मौत हो गई.