फर्जी सर्टिफिकेट से बगदाद भागने के फिराक में थे। इस गिरफ्तारी का बड़ा कनेक्शन छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से निकला,,,
By Admin February 21, 202526 जनवरी 2025 को मुंबई से 3 बांग्लादेशी भाइयों की गिरफ्तारी होती है। ये तीनों फर्जी सर्टिफिकेट से बगदाद भागने के फिराक में थे। इस गिरफ्तारी का बड़ा कनेक्शन छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से निकलता है। पूछताछ में पता चलता है कि, ये फर्जी दस्तावेज रायपुर के एक कम्प्यूटर सेंटर से बनवाया गया। सबसे बड़ी बात कि, छत्तीसगढ़ में बांग्लादेशी नागरिक इसी फर्जी दस्तावेजों की मदद से खुद को भारतीय बताकर भी रह रहे थे। ये फेक डॉक्यूमेंट सिर्फ एक मार्कशीट के आधार पर बनाए गए, जो मार्कशीट भी फर्जी थी और उसे 5000 रुपए देकर बनवाया गया या यूं कहें कि खरीदा गया। अब सवाल उठता है कि, बांग्लादेशी नागरिक रायपुर में कहां से पहुंचे? रायपुर में क्या काम किया? आरोपियों के दस्तावेज बनाने में किसने मदद की? ऐसे तमाम सवालों के जवाब जानेंगे इस रिपोर्ट में… सवाल- छत्तीसगढ़ में कहां से पहुंचे, वर्तमान में कहां और कब से रह रहे थे? मुंबई में गिरफ्तारी के बाद मुंबई एटीएस ने छत्तीसगढ़ एटीएस को सूचना दी जिसके बाद छत्तीसगढ़ से टीम मुंबई पहुंची। बांग्लादेश के रहने वाले गिरफ्तार आरोपियों मोहम्मद इस्माइल (27), शेख अकबर (23) और शेख साजन (22) को छत्तीसगढ़ पुलिस ने 3 दिन की न्यायिक रिमांड ली थी। पूछताछ के बाद पुलिस ने तीनों आरोपियों को न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया है। इन आरोपियों से पूछताछ कर करीब 6 पेजों का बयान लिया गया। आरोपी 2012 से छत्तीसगढ़ में रह रहे थे। आरोपियों ने अपने बयान में रायपुर के टिकरापारा, राजातालाब इलाकों में रहने की बात बताई। आरोपियों ने शेख अली उर्फ अली चाचा की मदद से नागपुर से रायपुर पहुंचने और टिकरापारा इलाके में 3 साल तक रहने की बात बताई। टिकरापारा के बाद राजातालाब में मकान लेने की बात भी आरोपियों ने लिखित रूप से दी है। पुलिस आरोपियों के मकान मालिकों से भी पूछताछ कर रही है। हालांकि, मकान मालिक और आरोपियों के बयान में अलग-अलग जानकारी पुलिस को मिली है। सवाल- कैसे बनवाया फर्जी आधार कार्ड समेत और कई डॉक्यूमेंट? एटीएस की जांच में ये बात सामने आई है, कि आरोपियों ने अपना पासपोर्ट, आधार कार्ड, पेन कॉर्ड समेत अन्य दस्तावेज बनाने के लिए फर्जी मार्कशीट बनाने का सहारा लिया। ये मार्कशीट बांग्लादेशी नागरिकों ने मोहम्मद आरिफ की मदद से बनवाई थी। इस मार्कशीट की मदद से ही बांग्लादेशी नागरिकों ने अपने बाकी दस्तावेज तैयार करवाए। पुलिस की पूछताछ में आरोपियों का आधार कार्ड रायपुर के पते पर 2012 में बनने की बात आई है। इस आधार कार्ड को बनाने के लिए फर्जी मार्कशीट का ही सहारा लिया गया। एटीएस ने इसकी पुष्टि निजी स्कूल और जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से कर ली है। सवाल- कैसे और क्यों बांग्लादेश से आए नागरिक, भाग क्यों रहे थे? पुलिस अधिकारियों के अनुसार बांग्लादेशी नागरिक आमतौर पर बंगाल के मालदा, 24 परगना, मुर्शिदाबाद, दिनाजपुर और चपई नवाबगंज जैसे क्षेत्रों से भारत में प्रवेश करते हैं। भारत आने के बाद सड़क, ट्रेन के रास्ते ये भारत के अलग–अलग राज्यों में जाते हैं। बांग्लादेश के हालात के कारण, पैसे कमाने के लिए छोटा-मोटा काम करने के लिए वे भारत आते हैं। हालांकि अवैध तरीके से आने के कुछ और कारण भी हो सकते हैं। जिसे पुलिस पूछताछ के जरिए पता कर रही है। जिस राज्य में पुलिस सख्ती करती है, वहां से ये लोग दूसरे राज्य रवाना हो जाते हैं। हाल ही में 30 जनवरी को रायपुर में भी पुलिस ने 2000 से ज्यादा लोगों का वेरिफिकेशन किया था। इन लोगों को उठाकर पुलिस लाइन लाया गया था। आशंका है कि, इसी के बाद ये तीनों आरोपी फरार हो रहे होंगे। सवाल- और कौन-कौन जांच के दायरे में है, किस दिशा में जांच हो रही? बांग्लादेशी नागरिकों ने अपना पासपोर्ट फर्जी दस्तावेजों की मदद से पूरी प्रक्रिया से बनवाया है। फर्जी सटिर्फिकेट होने के बाद भी उनका पासपोर्ट कैसे अप्रूव हो गया, इस दिशा में भी एटीएस जांच कर रही है। सवाल- आरोपियों का मददगार कौन है उस पर क्या कार्रवाई हो रही? तीनों बांग्लादेशी भाइयों ने पूछताछ में बताया है कि, शेख अली उन्हें नागपुर से रायपुर लेकर आया था। हालांकि शेख अली कहां रहता है, क्या करता है इसका पता उसकी गिरफ्तारी के बाद ही चल पाएगा। आरोपी भारत छोड़कर भाग ना जाए इसलिए रायपुर पुलिस ने केंद्रीय विदेश मंत्रालय काे पत्र लिखकर लुक आउट सर्कुलर भी जारी करवाया है। अलग–अलग राज्यों की एजेंसी से एटीएस और रायपुर पुलिस के अधिकारी संपर्क में है। एटीएस की जांच में एक और बात सामने आई है कि, तीनों भाइयों ने बगदाद जाने के लिए ढाई लाख रुपए देने की बात भी स्वीकारी है। बांग्लादेशी नागरिकों ने पुलिस को बताया, कि उसने बगदाद जाने के लिए ढाई लाख रुपए शेख अली को दिए थे। शेख अली ने उनके दस्तावेज फरवरी 2025 में दिए। दस्तावेज मिलने के बाद वे रायपुर से मुंबई के लिए 10 फरवरी को रवाना हुए, लेकिन मुंबई पुलिस के हत्थे चढ़ गए। सवाल- आगे क्या कार्रवाई हो रही है? गृह विभाग को प्रदेश में 1500 बांग्लादेशी और रोहिंग्याओं के होने की जानकारी मिली है। प्रदेश में बिना किसी पहचान पत्र के रहने वालों की धरपकड़ के लिए गृह विभाग जल्द ही एसओपी (स्टैंडिंग ऑपरेटिंग प्रोसीजर) जारी करने की तैयारी कर रहा है। ये दुर्ग–भिलाई, मोहल मानपुर, रायपुर, कवर्धा, रायगढ़, बिलासपुर, रायगढ़, कोरबा, कोरिया और सरगुजा में अपने परिचितों और समाज के लोगों के साथ रह रहे हैं।