बेटा खोया, दर्द सहा, गोद सूनी न हो किसी मॉ की, इसलिए सीखी ड्राईविंग…जानें वंदना के सपनों की कहानी

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मध्य प्रदेश के सागर जिले के केसली अंचल के बम्होरी गांव की वंदना राजपूत ने अपने जीवन की सबसे बड़ी त्रासदी को अपनी ताकत बना लिया. वंदना का सपना है कि कोई और मां उसकी तरह अपने बच्चे को न खोए. इसी संकल्प के साथ उन्होंने ड्राइविंग सीखी और जननी एक्सप्रेस चलाने का निर्णय लिया, ताकि समय पर गर्भवती महिलाओं को अस्पताल पहुंचाकर उनकी और उनके बच्चों की जान बचाई जा सके.

गर्भावस्था में खोया बच्चा, मां के रूप में सहा असहनीय दर्द
2015 में, वंदना राजपूत अपने मायके में थीं, जब उन्हें प्रसव पीड़ा हुई. उनका गांव शहर से 60 किलोमीटर दूर है. परिवार ने तुरंत जननी एक्सप्रेस एंबुलेंस को बुलाया, लेकिन एंबुलेंस को पहुंचने में चार घंटे लग गए. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचने के बाद जटिल डिलीवरी के कारण वंदना को जिला अस्पताल रेफर किया गया. हालांकि, समय पर इलाज के बावजूद उनका बच्चा बच नहीं सका.

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वंदना ने बताया कि अपने बच्चे को खोने का दर्द असहनीय था. आज भी उस दिन की यादें मुझे झकझोर देती हैं. मैंने तभी ठान लिया कि मैं खुद ड्राइविंग सीखकर जननी एक्सप्रेस चलाऊंगी, ताकि किसी और मां को अपनी गोद सूनी न करनी पड़े.

ड्राइविंग सीखी और जननी एक्सप्रेस चलाने का लिया संकल्प
वंदना ने आजीविका मिशन के तहत एक महीने का ड्राइविंग कोर्स पूरा किया. अब उन्होंने जननी एक्सप्रेस चलाने के लिए एंबुलेंस संचालित करने वाली कंपनी को पत्र लिखा है. यदि उन्हें वहां मौका नहीं मिलता, तो वह खुद लोन लेकर एक वाहन खरीदेंगी और उसे जननी एक्सप्रेस के रूप में संचालित करेंगी.

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साहस और दृढ़ संकल्प की मिसाल
वंदना की कहानी उनके साहस, सहनशीलता और समाज के प्रति उनकी प्रतिबद्धता की मिसाल है. उन्होंने अपनी त्रासदी को ताकत में बदला और यह साबित किया कि महिलाओं की इच्छाशक्ति किसी सीमा में नहीं बंध सकती.

आज, वंदना दो बेटों की मां हैं. उनके बेटे, 14 वर्षीय शिवा और 12 वर्षीय शिवांश, स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं. मां के इस साहसिक निर्णय से वे भी प्रेरित हैं.

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गर्भवती महिलाओं के लिए मददगार बनेंगी वंदना
वंदना का कहना है कि जब मैं जननी एक्सप्रेस चलाऊंगी, तो मेरी कोशिश होगी कि किसी भी गर्भवती महिला को समय पर अस्पताल पहुंचाया जाए. मेरी जिंदगी का उद्देश्य यही है कि किसी और मां को वह दर्द न सहना पड़े, जो मैंने सहा.

संदेश और प्रेरणा
वंदना की यह कहानी हर उस महिला के लिए प्रेरणा है, जो अपने दर्द को अपनी ताकत बनाना चाहती है. उनका साहस यह दिखाता है कि महिलाएं किसी भी चुनौती का सामना कर सकती हैं और समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकती हैं.

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