भोपाल में अनोखा टूर्नामेंट; धोती पहनकर क्रिकेट खेलने वाले खिलाड़ी, संस्कृत में लाइव कॉमेंट्री!
Bhopal News:भोपाल में सनातन संस्कृति और संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए धोती-कुर्ता पहनकर महर्षि मैत्री क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन किया गया. संस्कृत में कॉमेंट्री की गई. बल्लेबाज और गेंदबाज धोती-कुर्ता पहन कर मैच खेल रहे थे.
भोपाल. देशभर में हाल के कुछ वर्षों में वैदिक भाषा संस्कृत के बचाव और सभ्यता को बढ़ावा देने के लिए कई प्रयत्न और प्रयोग किए जा रहे हैं. इसी कड़ी में मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में एक ऐसा रोचक और अजब-गजब क्रिकेट टूर्नामेंट खेला गया, यहां खिलाडी आम मैचों की तरह टीम जर्सी नहीं, बल्कि देसी वस्त्र धोती-कुर्ता पहनकर क्रिकेट खेल रहे थे.
भोपाल में सनातन संस्कृति को बचाने के लिए मध्यप्रदेश के परशुराम कल्याण बोर्ड की इस अनोखी पहल की लोग जमकर तारीफ करने के साथ-साथ खासी दिलचस्पी दिखाए. महर्षि मैत्री क्रिकेट प्रतियोगिता के पाचवें श्रृखंला का आयोजन इस साल 6 से 9 जनवरी तक किया गया. Local18 की इस रिपोर्ट में देखिए पूरी इनसाइड स्टोरी.
धोती में बल्लेबाजी से लेकर अंपायरिंग तक
राजधानी भोपाल के अंकुर खेल मैदान में आयोजित हुए महर्षि मैत्री क्रिकेट टूर्नामेंट में आम क्रिकेट मैच जैसा कुछ भी नही था. यहां ना तो खिलाड़ी टीम जर्सी पहने और न ही आम मैचों की तरह हिंदी और अंग्रेजी में कॉमेंट्री हो रही थी. इस अजब-गजब टूर्नामेंट में खिलाड़ी देसी वस्त्र धोती-कुर्ते में गेंदबाजी और बल्लेबाजी कर रहे तो दूसरी तरफ धोती में ही अंपायरिंग करने वाले अपनी उंगलियों पर गेम को चला रहे थे.
देव भाषा संस्कृत में फटाफट कॉमेंट्री
महर्षि मैत्री क्रिकेट टूर्नामेंट में आम क्रिकेट मैच की तरह इंग्लिश और हिंदी में कॉमेंट्री नही बल्कि वैदिक भाषा संस्कृत में लाइव स्कोर और चौके-छक्के की जानकारी दी जा रही थी. यहां आने वाले सभी दर्शकों का ध्यान खींच रही थी.
अन्य खेलों को भी करेंगे शामिल: अध्यक्ष
इस अनोखे क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन करने वाले मध्यप्रदेश शासन के परशुराम कल्याण बोर्ड अध्यक्ष पंडित विष्णु रजौरिया ने Local18 से बात करते हुए बताया कि, यह प्रतियोगिता देशभर में बड़ी ही अनोखी है. इसमें लोगों की दिलचस्पी को देखते हुए मध्यप्रदेश सरकार विचाराधीन है कि, अगले सत्र से इस प्रतियोगिता में कई और खेलों को भी आयोजित किया जाएगा. इसके साथ ही सनातन संस्कृति और संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए इसका देशभर में आयोजन किया जाएगा.