गैस त्रासदी के बाद भोपाल पर मंडरा रहा नया खतरा, फंस रहे यंगस्टर्स, इस उम्र के लोगों को सबसे ज्यादा खतरा

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 भोपाल में ओरल कैंसर के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं, खासकर 35-54 साल के युवाओं में ऐसे मामले ज्यादा सामने आ रहे हैं. तम्बाकू, बीड़ी, सिगरेट और प्रदूषण इसके मुख्य कारण हैं. इसे लेकर सरकार…और पढ़ें

गैस त्रासदी के बाद भोपाल पर मंडरा रहा नया खतरा, फंस रहे यंगस्टर्सMP News: भोपाल में बढ़ रहे कैंसर के मरीज.

हाइलाइट्स

  • भोपाल में तेजी से बढ़ रहे ओरल कैंसर के केस
  • 35-54 साल के लोगों में बढ़ रहा खतरा
  • सिगरेट और प्रदूषण इसके मुख्य कारण

भोपाल. मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल कैंसर केपिटल भी बनती जा रही है. गैस त्रासदी का अभिषाप झेल चुका शहर अब ओरल कैंसर के बढ़ते मरीजों से जूझ रहा है. इसके पीछे का बड़ा कारण गैस त्रासदी, शहर में बड़े पैमाने पर तम्बाकू, बीड़ी, सिगरेट की लत और वाहन प्रदुषण भी है. कुछ रिपोर्ट्स का दावा है कि भोपाल में ओरल कैंसर के मरीज देश में दूसरे नंबर पर है. सबसे बड़ी हैरानी की बात यह है कि राजधानी भोपाल में मुंह के कैंसर के अधिकतर मरीज 35 से 54 साल उम्र के हैं. यानी कि बड़ी मात्रा में युवा भी इससे पीड़ित हैं. भोपाल में कैंसर रजिस्ट्री के आंकड़ों के मुताबिक 1 लाख पुरुष आबादी पर कैंसर मरीजों की संख्या 106.7 है.

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इनमें से 19 फीसदी ओरल कैंसर के मरीज हैं. भोपाल में कैंसर के सबसे ज्यादा मामले पर पुराने शहर में सामने आते हैं जिनमें खासतौर पर भोपाल टॉकीज से लेकर हमीदिया रोड, कबाड़खाना वाला इलाका शामिल है. भोपाल के सीएमएचओ डॉक्टर प्रभाकर तिवारी का कहना है कि कैंसर की रोकथाम के लिए सरकार लगातार जागरूकता अभियान चला रही है और स्क्रीनिंग भी बढ़ाई गई है.

 

अर्ली डिटेक्शन और केयर जरूरी

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कैंसर की रोकथाम के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है इसका सही समय पर डिटेक्शन होना. जितना अर्ली डिटेक्शन हो जाता है इससे निजात पाने की संभावना इतनी ज्यादा बढ़ जाती है. शहर में बढ़ रही ओरल कैंसर की समस्या को देखते हुए अब डॉक्टर के साथ जनप्रतिनिधि भी आगे आ रहे हैं. नगर निगम के अध्यक्ष किशन सूर्यवंशी ने कहा कि कैंसर के प्रति जागरूकता बढ़ाने का काम किया जाएगा. तंबाकू , बीड़ी, गुटखा, सिगरेट के सेवन से बचना चाहिए. सरकार हर बीमारी के खिलाफ जनता के साथ खड़े होकर लड़ाई लड़ रही है.

 

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युवाओं में बढ़ रही नशे की लत

 

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भोपाल समेत पूरे मध्य प्रदेश में अब युवाओं के बीच सिगरेट पीना एक फैशन बन चुका है और यही ओरल कैंसर जैसी एक बड़ी मुसीबत को खुली दावत देना भी है. शहर के चौक चौराहों और पान की गुमटियों पर अक्सर नई उम्र के लड़के-लड़कियां सिगरेट के कश लेते हुए दिखाई देना आम बात है. सिगरेट बीड़ी तंबाकू के पैकेट पर बड़े-बड़े अक्षरों में वार्निंग लिखी रहती है लेकिन इसके बावजूद इन पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता. लिहाजा नशे की लत में डूब रही युवा पीढ़ी को जागरूक कर इससे दूर करना अब जरूरी हो गया है. इसके लिए शासन प्रशासन को प्रभावी कदम उठाने होंगे.

 

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