100 साल पुरानी नहर में उगीं झाड़ियां, खेतों में सिंचाई नहीं कर पा रहे किसान, देखिए ग्राउंड रिपोर्ट

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बालाघाट. बालाघाट में किसानों ने रबी की फसल की बुआई कर दी है. कुछ फसलों में अब पानी की आवश्यकता भी है. इन खेतों से नहरें भी गुजर रही है लेकिन इनसे खेतों में पानी नहीं जा पाता है. ऐसे हालात सिर्फ एक या दो गांवों के किसानों की नहीं बल्कि पांच गावों के किसानों की है.

किसानों का कहना है कि गांव से नहरें तो गुजरती हैं, लेकिन इनकी सफाई नहीं हुई है. नहरों पर झाड़ियाँ और बड़े पेड़ उग आए हैं, जिससे पानी खेतों तक नहीं पहुंच पाता है. नहरें कई जगह से टूटी- फूटी भी हैं. किसानों ने बताया कि इन नहरों की सालों से सफाई नहीं हुई है.

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नहरों से छोटे नाले नहीं बने
किसानों ने बताया कि नहर से हमारे खेत दूर है. ऐसे में वहां तक पानी पहुंचाने के लिए दूसरे किसानों के खेतों से पानी ले जाना पड़ता है. ऐसे में किसानों को आपत्ति होती है. वहीं, सिंचाई विभाग ने नहर से खेतों तक नालियां भी नहीं बनाई है. वहीं, विभाग 150 रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से सालाना वसूली करता है.

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5 गांवों की 1 हजार हेक्टयर भूमि प्रभावित
किसानों ने बताया कि यह स्थिति पांच गांवों की है. इसमें कस्बीटोला, रेंगाझरी, सोनझरा, कन्हारटोला और अमई के खेत शामिल है. ऐसे में यहां एक हजार से ज्यादा किसान और उनकी एक हजार हेक्टयर यानी ढाई हजार एकड़ भूमि प्रभावित होती है. खरीफ की खेती तो हो जाती है लेकिन रबी की फसल पर पानी की कमी असर पड़ता है.

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सालों से नहीं हुई नहरों की सफाई
रामपायली क्षेत्र के किसान हीरामन राहंगडाले ने बताया कि इन नहरों में पानी धूति डैम से आता है. इसकी नहरें लगभग 1909 में बनी है. जब से सिंचाई विभाग ने स्थाई मजदूर रखना बंद किए है, तब इन नहरों की सफाई नहीं हुई है. ऐसे में नहरों की दुर्दशा हो रही है.

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