National Youth Day: सोशल मीडिया से कमाई भी, 95% युवा इस पर एक्टिव लेकिन बिगड़ रही मेंटल हेल्थ, जानें कितना समय बिताना सही?

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Explainer- युवाओं की जिंदगी में सोशल मीडिया का बहुत दखल है. उनके हाथ से मोबाइल कभी छूटता ही नहीं है. सुबह उठते ही सबसे पहले सोशल मीडिया को स्क्रोल करने लग जाते हैं और उसके बाद दिन की शुरुआत होती है. युवाओं के लिए सोशल…और पढ़ें

आज दुनिया का हर व्यक्ति सोशल मीडिया से जुड़ा हुआ है. फेसबुक और इंस्टाग्राम को देखना हर किसी के रूटीन में शामिल है. जितना हम खुद का ध्यान रखते हैं, सोशल मीडिया भी हमारा उतना ही ख्याल रखता है क्योंकि जो चीजें हम सर्च करते हैं, वह बार-बार सोशल मीडिया पर दिखने लगती हैं. यानी सोशल मीडिया हमारी जिंदगी में घुसपैठ करता है. उसे पता है कि हम रोज क्या कर रहे हैं. क्या सोच रहे हैं और क्या बात कर रहे हैं. युवाओं के लिए तो सोशल मीडिया ही उनकी दुनिया बन गई है. उनका अधिकतर समय सोशल मीडिया पर बीतता है. आज 12 जनवरी है और इस दिन National Youth Day है. इस मौके पर समझते हैं कि सोशल मीडिया कहीं युवाओं को भटका तो नहीं रहा?

 

युवाओं को भाता वर्चुअल वर्ल्ड
मेडिकल न्यूज टुडे के अनुसार, 95% युवा किसी ना किसी एक सोशल मीडिया से जुड़े हुए हैं. अधिकतर युवाओं को टिकटॉक, इंस्टाग्राम और स्नैपचैट पसंद आता है. युवा सोशल मीडिया को फायदेमंद मानते हैं. उनके अनुसार यह लोगों से जुड़ने का अच्छा प्लेटफॉर्म है. 71% युवा मानते हैं कि सोशल मीडिया की वजह से वह अपनी क्रिएटिविटी को पहचान पाए हैं. वहीं 67% का मानना है कि सोशल मीडिया के दोस्तों ने उनके बुरे वक्त में उन्हें सपोर्ट किया.   

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सोशल मीडिया बना कमाई का जरिया
सोशल मीडिया जहां लोगों का वक्त चुरा रही है, वहीं यह कुछ को कमाने का मौका भी दे रही है. कई लोग घर बैठे-बैठे इसकी मदद से अच्छा खासा पैसा कमा रहे हैं. कुछ अपने स्किल्स से तो कुछ अपने टैलेंट से कमाई कर रहे हैं. अगर आप सोचते हैं कि इससे केवल यूट्यूबर या सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर ही बना जा सकता है तो आप गलत है. कुछ वेबसाइट ऑनलाइन पब्लिक सर्वे करने के लिए भी पेमेंट करती है. इसमें ऑनलाइन लोगों से उनकी राय पूछी जाती है. वहीं नामी ब्रांड्स लोगों को एफिलिएट मार्केटिंग के जरिए कमिशन कमाने का भी मौका देते हैं. इसके लिए सोशल मीडिया या किसी वेबसाइट पर उस कंपनी के प्रोडक्ट को लिंक के साथ प्रमोट करना है. अगर कोई लिंक क्लिक करके उस प्रोडक्ट को खरीदता है तो कुछ प्रतिशत कमीशन व्यक्ति को भी मिलता है. इसके अलावा ऑनलाइन टीचर, फ्रीलांस राइटर, वाइस ओवर आर्टिस्ट, टाइपिस्ट या ट्रांसलेटर बनकर भी घर बैठे कमाई की जा सकती है. 

 

सोशल मीडिया युवाओं को परिवार से दूर कर रहा है (Image-Canva)

दिमाग से खेल रहा सोशल मीडिया
मनोचिकित्सक मुस्कान यादव कहती हैं कि सोशल मीडिया के फायदे और नुकसान दोनों हैं. इससे जहां नई-नई जानकारी मिलती है, लोगों से कनेक्ट होने का मौका मिलता है, वहीं यह लोगों का समय भी चुरा रहा है. लोगों को इस बात का एहसास नहीं है. 30 सेकंड की रील की स्क्रॉलिंग कब 3 घंटे में बदल जाती है, पता ही नहीं चलता. सोशल मीडिया लत की तरह दिमाग के साथ खेलता है. मोबाइल देखते ही बॉडी में डोपामाइन नाम का हैप्पी हार्मोन निकलता है जो खुशी का एहसास कराता है. सोशल मीडिया देखने के दौरान दिमाग का सारा फोकस मोबाइल की तरफ होता है जिससे व्यक्ति दूसरी चीजों पर ध्यान नहीं दे पाता. आज के युवा सोशल मीडिया की वजह से अपनी पढ़ाई या करियर पर फोकस नहीं कर पा रहे हैं.

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मेंटल हेल्थ बिगड़ रही है
एक युवा के अंदर बहुत एनर्जी होती है. लेकिन वह अब अपनी एनर्जी को सोशल मीडिया चलाकर बर्बाद कर रहे हैं. इस वजह से युवा अपनी सेहत को लेकर जागरूक नहीं हैं. वह रात को सोने की जगह सोशल मीडिया पर चैट करते रहते हैं. अगर वह वर्कआउट कर भी रहे हैं तो सोशल मीडिया पर फोटो पोस्ट करने के लिए करते हैं. सोशल मीडिया दिखावे की दुनिया है लेकिन युवा दूसरों की पोस्ट से बहुत प्रभावित हो जाते हैं. उन्हें कम उम्र में ही महंगी कार, महंगी घड़ी, वर्ल्ड टूर करना है. यह सब चीजें उनके दिमाग पर असर डालने लगती हैं.  2019 में हुई cohort study के अनुसार जो युवा एक दिन में 3 घंटे से ज्यादा सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हैं, उन्हें डिप्रेशन और एंग्जायटी का खतरा दोगुना बढ़ जाता है.

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सोशल मीडिया की झूठी दुनिया युवाओं की मेंटल हेल्थ को खराब कर रही है (Image-Canva)

ट्रोलिंग और साइबर बुलिंग का हो सकते हैं शिकार
सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग बहुत आम है. 1980 के दौर में शुरू हुई इंटरनेट पर यह खींचतान अब सोशल मीडिया पर नफरत फैला रही है. सबसे खास बात तो यह है कि ट्रोलिंग कर कौन रहा है, उसे कोई पहचानता भी नहीं है. ट्रोलिंग साइबर बुलिंग भी है. इसमें कुछ लोग या ग्रुप अभद्र भाषा का, अश्लील मैसेज या फोटो का इस्तेमाल करते हैं. इस दौरान बेवजह की बहस भी होती है. ज्यादातर ट्रोलिंग फेक अकाउंट से होती है लेकिन सामने वाले व्यक्ति पर इसका असर बहुत गहरा हो सकता है. अगर कोई युवा दिमागी तौर पर मजबूत ना हो और बुलिंग या ट्रोलिंग का शिकार हो जाए वह जिंदगी तक खत्म कर सकता है. मनोचिकित्सक मुस्कान मानती हैं कि इससे बचने का एक ही तरीका है कि नेगेटिव कमेंट ना पढ़ें या कमेंट सेक्शन बंद कर दें. वैसे सबसे बेहतर है कि सोशल मीडिया का कम से कम इस्तेमाल करें.  

 

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