बिना हेलमेट नहीं चलेगी बाइक, सातवीं के छात्र ने बनाई अनोखी डिवाइस, सड़क हादसों को रोकने की पहल
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Helmet safety Device: शान अग्रवाल का हेलमेट मॉडल सड़क सुरक्षा को एक नई दिशा दे सकता है. यह तकनीक न केवल दुर्घटनाओं में कमी लाएगी, बल्कि लोगों को उनकी सुरक्षा के प्रति भी जागरूक करेगी. यदि वाहन निर्माता कंपनियां इसे अपनाती हैं, तो यह नवाचार…और पढ़ें
अनुज गौतम, सागर: मध्य प्रदेश के सागर में आयोजित स्टेट लेवल प्रदर्शनी में बच्चों की अद्भुत प्रतिभा देखने को मिली. इस आयोजन में सातवीं कक्षा के छात्र शान अग्रवाल द्वारा तैयार किया गया मॉडल सभी के आकर्षण का केंद्र रहा. शान ने ऐसा हेलमेट तैयार किया है, जो सड़क सुरक्षा में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है. इस अनोखी डिवाइस की खासियत यह है कि जब तक बाइक चालक हेलमेट नहीं पहनता, बाइक स्टार्ट ही नहीं होगी. और यदि हेलमेट उतार दिया जाए, तो बाइक स्वतः बंद हो जाएगी.
सड़क हादसों से बचाने की अनूठी पहल
सड़क हादसे भारत में हर साल हजारों लोगों की जान ले रहे हैं. खासकर दोपहिया वाहन चालकों में हेलमेट न पहनने की लापरवाही के कारण दुर्घटनाओं में मौत की संख्या लगातार बढ़ रही है. सरकार और ट्रैफिक पुलिस जागरूकता अभियान चला रही है, लेकिन लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते. ऐसे में शान अग्रवाल का यह मॉडल सड़क सुरक्षा की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है.
कैसे काम करता है यह हेलमेट सिस्टम?
शान ने अपने मॉडल को बेहद सरल और प्रभावी बनाया है. इस डिवाइस को बाइक में फिट करने के बाद, बाइक तभी स्टार्ट होगी जब चालक हेलमेट पहनेगा. हेलमेट के अंदर एक सेंसर और बाइक में एक रिसीवर लगाया गया है. दोनों के बीच संपर्क स्थापित होते ही बाइक स्टार्ट होती है. जैसे ही हेलमेट उतारा जाएगा, सेंसर सक्रिय हो जाएगा और बाइक बंद हो जाएगी.
हेलमेट बनाने का प्रेरणादायक कारण
शान अग्रवाल ने बताया कि उनके इस इनोवेशन की प्रेरणा उनके पड़ोस में हुए एक दुर्घटना से मिली. उनकी कॉलोनी के एक अंकल बाइक एक्सीडेंट में घायल हो गए थे. उन्होंने हेलमेट नहीं पहना था, जिसके कारण सिर में गंभीर चोटें आईं. इस घटना ने शान को सोचने पर मजबूर कर दिया. उन्होंने फैसला किया कि वह एक ऐसा समाधान तैयार करेंगे, जो बाइक चालकों को हेलमेट पहनने के लिए मजबूर कर सके.
कम लागत में बना प्रभावी मॉडल
शान ने इस हेलमेट को मात्र 1200 रुपये की लागत में तैयार किया है. उनका मानना है कि इसे बड़े स्तर पर और व्यवस्थित तरीके से बनाया जाए, तो इसकी लागत 600 से 700 रुपये तक लाई जा सकती है. अगर वाहन निर्माता कंपनियां इस तकनीक को अपनाती हैं, तो यह न केवल किफायती होगा, बल्कि सड़क दुर्घटनाओं में जान गंवाने वाले हजारों लोगों की जिंदगी भी बचा सकता है.
आने वाले समय में बड़ा बदलाव संभव
शान की यह पहल न केवल उनकी कक्षा या प्रदर्शनी तक सीमित है, बल्कि यह एक बड़े बदलाव का संकेत है. यदि इस तकनीक को बड़े स्तर पर अपनाया जाए, तो यह दोपहिया वाहन चालकों की सुरक्षा में क्रांतिकारी कदम साबित हो सकता है. यह मॉडल विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है, जो हेलमेट पहनने को हल्के में लेते हैं.
लोगों के लिए संदेश
सड़क पर सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है, और हेलमेट इसका एक अहम हिस्सा है. शान का यह इनोवेशन न केवल तकनीकी दृष्टिकोण से सराहनीय है, बल्कि यह सभी के लिए एक प्रेरणा भी है. उन्होंने दिखाया कि कैसे एक छोटी सी सोच और प्रयास बड़े बदलाव ला सकते हैं.