बचपन से वर्दी का जुनून, NDA क्लियर नहीं हुआ तो बने पुलिस अफसर… रीवा IG महेंद्र सिंह सिकरवार से खास बातचीत
रीवा. आमतौर पर पुलिस महकमे से जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों को उनके सख्त व्यवहार और कानून का डंडा चलाने के लिए जाना जाता है, लेकिन इसके इतर भी पुलिस अधिकारियों की एक अलग दुनिया है. पुलिस विभाग से जुड़े कुछ ऐसे अफसर और कर्मचारी भी हैं. जिनका जुड़ाव साहित्य के साथ-साथ और गीत और संगीत से भी है. ऐसे ही एक पुलिस अधिकारी डॉ. महेंद्र सिंह सिकरवार “समीर” हैं, जो वर्तमान में रीवा संभाग के पुलिस महानिरीक्षक पद को सुशोभित कर रहे हैं.
दरअसल, रीवा रेंज के आईजी महेंद्र सिंह सिकरवार फिलहाल समीर के नाम से गजल और नज्म (कविताएं) लिखते हैं. उन्होंने ‘इबारत’ नाम से एक पुस्तक तैयार की है, जबकि उनकी पहचान एक सख्त पुलिस अधिकारी के तौर पर है. यानी सख्ती के बीच साहित्य का मखमली तरन्नुम भी उन्होंने अपनी कलम से उगाया है. जिसे ‘इबारत’ नाम से आकार दिया है.
आईजी महेंद्र सिंह सिकरवार से खास बातचीत…
प्रश्न: अपनी किताब इबारत के बारे में कुछ बताइए ?
उत्तर: इबारत जीवन के सफर का एक सोपान हैं, जो थोड़े-बहुत शब्द उकेरता था आंडी तिरछी लाइनों में और वह एक दिन एक किताब इबारत बन कर आप सबके सामने है.
प्रश्न: रीवा के लिए क्या कहेंगे आप ?
उत्तर: रीवा से मेरा बहुत लगाव है मेरी कर्म भूमि है, इसलिए भी रीवा मेरे लिए खास हो गया कि मेरी पहली किताब इबारत का विमोचन यहीं से हुआ है, इसलिए हमेशा याद रहेगा और एक लगाव रहेगा.
प्रश्न: आपका परिवारिक माहौल कैसा था ?
उत्तर: मैं चंबल से आता हूं, मेरा परिवारिक माहौल बहुत अच्छा था. बस मेरे परिवार में कोई पुलिस वाला नहीं था. मेरे ग्रैंड फादर एक कृषक थे, मेरे पिता माइनिंग अफसर से रिटायर्ड हैं. हम चंबल के एक गांव से आते हैं, मेरी कोई ऐसी पृष्टभूमि नहीं रही लेकिन मेरे माता पिता ने मेरा बहुत समर्थन किया है यहां तक आने में.
प्रश्न: आपकी शादी के बाद जीवन में कुछ बदलाव हुआ ऐसे प्रोफेशन में होने के कारण ?
उत्तर: नहीं, शादी के बाद मेरी पत्नी का बहुत सहयोग रहा, इसलिए इस मामले में मैं अपने आप को बहुत भाग्यशाली मानता हूं कि मुझे उन सवालों से नहीं गुजरना पड़ा कि आप समय पर घर नहीं आते, समय पर खाना नहीं खाते, बच्चों को समय नहीं देते. हर व्यस्त आदमी के सामने एक चुनौतीपूर्ण परिस्थित होती है. खासकर पुलिस की नौकरी करने वाले के लिए बहुत सारे सवाल होते हैं. परिवार की तरफ से मैं लक्की हूं कि मुझे ऐसे सवालों से नहीं गुजरना पड़ा. पत्नी के समर्थन के बिना मैं शून्य हूं.
प्रश्न: हमेशा से आपका सपना पुलिस विभाग में जाना ही था?
उत्तर: हां वर्दी के प्रति मेरा हमेशा से लगाव रहा है, मैं जिस अंचल में पैदा हुआ हूं उस क्षेत्र के लोगों को वर्दी के प्रति बहुत आकर्षण होता है. लोग या तो फौज में जाते हैं या पुलिस में, इसलिए मैं भी हमेसा से वर्दी धारी बनना चाहता था. हमारे चंबल के लोगों का आज भी पैशन वर्दी ही है. मैं अपनी शिक्षा के दौरान NCC, स्काउट, स्पोर्ट्स में रहा हूं तो और भी ज्यादा मैं वर्दी के प्रति आकर्षित हो गया.
फिर मैंने डिसाइड किया कि अब मुझे वर्दी की ही जाॅब करनी है. जब मैं दसवीं कक्षा में था तो मैनें NDA का एक्जम दिया पर वहां नहीं हुआ, मतलब आर्मी में कोशिश की, जब वहां सफल नहीं हुआ तो पुलिस विभाग में कोशिश की और यहां सफल हुआ हूं, तो यह कह सकते हैं कि हां मैं वर्दी के हमेशा से आकर्षित रहा हूं.
प्रश्न: आपका विभाग की ऐसी कोई घटना जो आपको आहत कर गई हो ?
उत्तर: हां, मेरा विभाग ऐसा है कि कठिन और सरल दोनों परिस्थित से हमें गुजरना होता है, कई ऐसी घटनाए होती हैं जो हमें मानसिक और शारीरिक रूप से आहत कर जाती हैं. मन कचोटता है कि ऐसा क्यों हुआ और आंतरिक पीड़ा देती है. पर जब उन घटनाओं का प्रतिफल होता है उनसे जो सुकून मिलता है उसके लिए कोई शब्द नहीं होते हैं. कई बार इतना यश मिलता है कि उसकी अलग ही खुशी होती है.
प्रश्न: रीवा के युवाओं के लिए क्या संदेश देना चाहेंगे?
उत्तर: रीवा में कफ सिरप का गढ़ था, हमने इस पर गहरे प्रहार किए हैं जो किया जा सकता था, पांच छः महीने में हमने मध्यप्रदेश की सबसे बड़ी कार्यवाई नशे के विरुद्ध रीवा में की है. लेकिन इसे जड़ से खत्म करने के लिए माता पिता को आगे आना होगा. उन्हें अपने नौवीं दसवीं में पढ़ाई कर रहे बच्चे को परखना होगा कि बच्चे अकेले कमरे में बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं या किसी नशे से संबंधित कोई कृत्य तो नहीं कर रहे हैं. स्कूलों में भी यही माहौल होना चाहिए. युवकों को यह समझना होगा कि नशा करने वाला कोई भी व्यक्ति आज तक बड़ा नहीं बन सका है, और ना हीं जीवन में कुछ कर सका है. क्योंकि नशा नाश का द्वार है.
युवाओं को नशा करना है, तो जीवन का करना चाहिए क्योंकि जीवन खुद एक नशा है. मेरी सबसे यही गुजारिश है और एडवाइस है कि नशे से दूर रहें. अगर जीवन में कोई सपने हैं और कुछ करना चाहते हो तो आज के दौर में सारा आसमान अपना है. बस उसे अपना बनाने की कोशिश आपको करनी होगी.