एक ऐसा जिला जहां जमाई को राजा सा दिया जाता है सम्मान, खातिरदारी में परोसे 452 तरह के पकवान, अनोखी है यहां की परंपरा
गोदावरी जिले में यह परंपरा न सिर्फ परिवारों के बीच रिश्तों को मजबूत करती है, बल्कि दामादों के प्रति सम्मान और प्यार को भी व्यक्त करती है. यहां पर यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और यह दामादों…और पढ़ें
हाइलाइट्स
- गोदावरी में दामादों की बेमिसाल मेहमाननवाज़ी की परंपरा है.
- दामादों को सम्मानित करने के लिए विशेष भोज का आयोजन किया जाता है.
Jamai Raja in Godavari : हाल ही में, तेलंगाना के गोदावरी जिले अपने दामादों के लिए बेमिसाल मेहमाननवाज़ी और गर्मजोशी से स्वागत करने की परंपरा काफी चर्चा में है. इन जिलों में एक परंपरा है, जिसमें दामादों को सम्मानित करने के लिए विशेष भोज का आयोजन किया जाता है, जो बेहद भव्य और यादगार होते हैं. ऐसा ही एक उदाहरण हाल ही में सामने आया, जब कोल्ली शिवा भास्कर, जो वंदनापु वेंकटेश्वर राव और उनकी पत्नी के दामाद हैं, को उनके ससुरालवालों ने एलुरु जिले में 452 प्रकार के पकवानों के साथ लजीज़ भोजन कराया. इस भोज में पारंपरिक तेलुगू व्यंजन जैसे पुलिहोरा, बोब्बत्तलू, पेसरत्तू और गरिजालू शामिल थे. इसके अलावा मिठाईयों की भी शानदार वैरायटी थी, जिसमें अरिसेलु, काजा और बंदर लड्डू शामिल थे. यह भव्य भोज संक्रांति के अवसर पर कराया गया था और जिससे शिवा भास्कर ये देख मंत्रमुग्ध हो गए थे.
सम्मान की परंपरा
यह कोई अकेला मामला नहीं है. एक और उदाहरण में, साकेत, जो माजेती सत्यभास्कर और वेंकटेश्वरी के दामाद हैं, को उनके ससुरालवालों ने यानम (काकीनाडा के पास) में संक्रांति के मौके पर 470 प्रकार के शुद्ध शाकाहारी व्यंजन परोसे. इस भोज में सकिनालू, गव्वालू, कूडुमुलु जैसे व्यंजन शामिल थे, साथ ही विभिन्न प्रकार की चटनी और अचार भी परोसे गए. साकेत इस अनोखे स्वागत और भव्य भोज से हैरान और खुश थे.
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परिवार का उत्सव
तेलंगाना के सांगारेड्डी जिले में रामुलु और उनकी पत्नी मेघना ने अपने नए दामाद श्रीकांत राव के लिए संक्रांति महोत्सव के दौरान 130 प्रकार के व्यंजन तैयार किए. इस भोज में इडली, वड़ा, डोसा जैसे लोकप्रिय व्यंजन और लड्डू, जलेबी, बर्फी जैसी पारंपरिक मिठाइयां शामिल थीं. उनकी बेटी निशा ने देखा कि उनके माता-पिता अपने दामाद को सम्मानित करने के लिए कितनी मेहनत से यह भोजन तैयार कर रहे थे. यह परिवार के लिए एक विशेष अवसर था, और श्रीकांत राव को एक राजा जैसा भोज प्राप्त हुआ.
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