पागल कुत्ते के काटने से फैला रैबीज, बच्चे की मौत:परिजन करा रहे थे झाड़फूंक और जड़ीबूटी से इलाज, हालत बिगड़ी तो पहुंचे हॉस्पिटल
6 फरवरी की दोपहर अभिषेक लकड़ा के पैर में दर्द होने लगा और उसे सांस लेने में परेशानी होने लगी तो परिवार के लोग उसे निजी वाहन से लेकर मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल पहुंचे। अभिषेक लकड़ा अजीब हरकत करने लगा था। उसे तेज बुखार भी था।
चिकित्सकों ने पूछताछ की तो परिजनों ने उसे पागत कुत्ते द्वारा काटने की जानकारी दी। हॉस्पिटल में उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। बच्चे का शव परिजनों को सौंप दिया गया है। चिकित्सकों के अनुसार अभिषेक लकड़ा को मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल लाया गया था, तब तक रैबीज पूरी तरह से फैल चुका था और उसे बचाया नहीं जा सकता था। हर साल आते हैं 200 से अधिक मामले मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल अंबिकापुर में हर साल कुत्तों के काटने के 200 से अधिक मामले आते हैं। इसके अलावे सामुदायिक स्वाथ्स्य केंद्रों में भी एंटी रैबीज इंजेक्शन लगाने की व्यवस्था है। अन्य जानवरों के काटने के मामलों में भी एंटी रेबिज दिया जाता है। इसके आंकड़े पृथक हैं। टीकाकरण या त्वरित उपचार से बचाई जा सकती है जान पशु चिकित्सक डा. सीके मिश्रा ने बताया कि रैबीज एक जानलेवा बीमारी है। इस बीमारी से समय पर टीकाकरण करवा कर बचाव किया जा सकता है। जानवरों के काटने की स्थिति में तत्काल एंटी रैबीज से इसका शत प्रतिशत उपचार संभव है। इसे लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यक्ता है। रैबीज एक वायरल डिसऑर्डर है। यह सेंट्रल नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है। यह रैबीज से प्रभावित जानवरों के काटने, खरोंचने या म्यूकोसा के माध्यम से इसका संचार होता है।
चिकित्सकों ने पूछताछ की तो परिजनों ने उसे पागत कुत्ते द्वारा काटने की जानकारी दी। हॉस्पिटल में उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। बच्चे का शव परिजनों को सौंप दिया गया है। चिकित्सकों के अनुसार अभिषेक लकड़ा को मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल लाया गया था, तब तक रैबीज पूरी तरह से फैल चुका था और उसे बचाया नहीं जा सकता था। हर साल आते हैं 200 से अधिक मामले मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल अंबिकापुर में हर साल कुत्तों के काटने के 200 से अधिक मामले आते हैं। इसके अलावे सामुदायिक स्वाथ्स्य केंद्रों में भी एंटी रैबीज इंजेक्शन लगाने की व्यवस्था है। अन्य जानवरों के काटने के मामलों में भी एंटी रेबिज दिया जाता है। इसके आंकड़े पृथक हैं। टीकाकरण या त्वरित उपचार से बचाई जा सकती है जान पशु चिकित्सक डा. सीके मिश्रा ने बताया कि रैबीज एक जानलेवा बीमारी है। इस बीमारी से समय पर टीकाकरण करवा कर बचाव किया जा सकता है। जानवरों के काटने की स्थिति में तत्काल एंटी रैबीज से इसका शत प्रतिशत उपचार संभव है। इसे लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यक्ता है। रैबीज एक वायरल डिसऑर्डर है। यह सेंट्रल नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है। यह रैबीज से प्रभावित जानवरों के काटने, खरोंचने या म्यूकोसा के माध्यम से इसका संचार होता है।