पशुपतिनाथ मंदिर में हर साल नए साल पर भव्य मेला, 5-10 हज़ार लोग होते हैं शामिल, आस्था और उत्सव का संगम!

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शिवांक द्विवेदी , सतना: सतना के प्रसिद्ध पशुपतिनाथ मंदिर में हर साल नए साल के मौके पर भव्य मेले का आयोजन होता है. यह मेला धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक उत्सव का अनूठा संगम है, जिसमें हर साल 5,000 से 10,000 श्रद्धालु और पर्यटक शामिल होते हैं. न केवल स्थानीय लोग, बल्कि दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालु और सैलानी भी इस आयोजन का हिस्सा बनते हैं.

आस्था का केंद्र: पशुपतिनाथ मंदिर
पशुपतिनाथ मंदिर सतना का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जहां भक्तों की गहरी आस्था जुड़ी हुई है. मंदिर के पुजारी शिवम तिवारी ने बताया कि 2002 में प्राण प्रतिष्ठा के दौरान मंदिर के प्रांगण में एक बैल आकर बैठ गया था. उसी स्थान पर अब नंदी महाराज की विशाल मूर्ति स्थापित है, जो भक्तों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र है.

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मेले की खासियत
नए साल के इस मेले में हर उम्र के लोगों के लिए मनोरंजन के भरपूर साधन उपलब्ध होते हैं.

झूले और खेल: बच्चों और युवाओं के लिए झूले और मजेदार खेल आकर्षण का हिस्सा हैं.
खाने-पीने के स्टॉल: स्वादिष्ट व्यंजनों के स्टॉल मेले में चार चांद लगाते हैं.
दुकानें: कपड़े, खिलौने, आभूषण और अन्य वस्तुओं की दुकानों से खरीदारों की भीड़ उमड़ती है.
मेले के आयोजनकर्ता अमर चौधरी ने बताया कि मेले की तैयारियां 28 से 30 दिसंबर के बीच पूरी कर ली जाती हैं.
सांस्कृतिक और धार्मिक महत्ता
पशुपतिनाथ मंदिर का यह मेला सतना के धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुका है. सतना के पूर्व विधायक शंकरलाल तिवारी ने इस आयोजन को शहर का गौरव बताते हुए कहा कि यह मेला न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि सांस्कृतिक उत्सवों की धरोहर भी है.

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श्रद्धालुओं का उत्साह
नए साल पर लगने वाले इस मेले में श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंचते हैं. वे मंदिर में पूजा-अर्चना करने के साथ-साथ मेले के उत्सव और मनोरंजन का आनंद लेते हैं. यह मेला बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, हर किसी के लिए कुछ न कुछ खास लेकर आता है.

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क्यों जाएं पशुपतिनाथ मंदिर का मेला?
धार्मिक अनुभव: मंदिर में पूजा-अर्चना और नंदी महाराज की विशाल मूर्ति के दर्शन.
सांस्कृतिक उत्सव: मेले में झूले, स्टॉल और मनोरंजन के साधन.
परिवार संग समय: हर उम्र के लोगों के लिए आनंददायक माहौल.

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