धरती के लाल का कमाल, एक एकड़ में उगा डाला 36 किस्म का गेहूं, 15 हजार प्रति क्विंटल कीमत
सागर. सागर के एक किसान ने कमाल कर दिया है, उसने अपनी एक एकड़ जमीन पर 36 किस्मों के गेहूं को उगाया है. यह सभी विलुप्तप्राय देसी बीज हैं, जिनके संरक्षण के लिए और समाज के बीच इन गेहूं को लाने के लिए किसान ने अपने खेत में बुवाई की है. 36 प्रकार का गेहूं लगाने के लिए उसने अपने छोटू ट्रैक्टर से इसमें क्यारी बनाई और एक-एक क्यारी में एक-एक प्रकार का गेहूं बोया है, क्यारी के बीच में जो छोटी-छोटी सी मेढ़ है, उन पर धना को बोया गया है, ताकि गेहूं की कोई भी वैरायटी मिक्स ना होने पाए. इस सीजन 36 वैरायटी को उगाने के बाद इसे कुछ नई वैरायटी भी बनाई जाएगी, जिनका बीज सिलेक्शन विधि से चयन होगा.
शहर से करीब 8 किलोमीटर दूर कपूरिया ग्राम में मल्टी लेयर फार्मिंग के जनक आकाश चौरसिया के की और से यह प्रयोग किया गया है. वह पिछले 10 साल से खेती में नए-नए तरह की इन्वेंशन करते आ रहे हैं. पिछले साल 1 एकड़ में उन्होंने 16 तरह के गेहूं को उगाया था, लेकिन इस बार 16 से बढ़कर 36 प्रकार के गेहूं की बुवाई की है. वह अपने फार्म हाउस पर हर महीने 7 दिन का फ्री प्रशिक्षण देश भर के किसानों को देते हैं. ऐसे में आकाश चौरसिया मानते हैं कि जो भारत के पुराने औषधि गुणों से भरपूर बीज हैं, उनको बढ़ावा देना चाहिए ताकि किसानों की आर्थिक आय बढ़े और बीमारियों पर अंकुश लगे.
खेत में लगाए गए इस वैरायटी के गेहूं
काली मूछ, सोना-मोती या पीतांबरा, खपली, कठिया, बंशी, बसंती, प्रताप, सर्जना, मालविका बसंती, सरवती, मोतीबासीं, हंसराज, श्री, खैरा, नीलांबर, गुलांबरी, काला गेहूं, 306, 307, 315, 322, कुदरत, लाल गेहूं जैसी 36 देशी वैरायटी शामिल हैं.
सभी वैरायटी किसी न किसी गुण से भरपूर
युवा किसान आकाश चौरसिया अपने इस प्रयोग को लेकर कहते हैं कि भारत के जो पुराने देसी बीज हैं वह किसी दवा से कम नहीं है, इन वैरायटी में कोई शुगर को कंट्रोल करता है तो कोई कब्ज खत्म कर देता है, कोई माइग्रेन दूर करता है तो कोई दिमाग को तंदुरुस्त रखता है. यानी इसमें जितनी भी वैरायटी हैं सब किसी न किसी गुण से भरपूर है.
15 हजार प्रति क्विंटल की बिक्री वाली वैरायटी
इन गेहूं में 4000 से लेकर 15000 प्रति क्विंटल की बिक्री वाली वैरायटी शामिल हैं. वहीं उत्पादन की बात करें तो 12 क्विंटल प्रति एकड़ से लेकर 25 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से उपज देती हैं. दो पानी की सिंचाई में और पांच पानी की सिंचाई वाली फसल शामिल है. 90 दिन से लेकर 140 दिन में पककर तैयार होने वाली किसमें लगाई गई हैं.